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एम4पीन्यूज,चंडीगढ़| 

प्री-नैटल टेस्ट से जेनेटिक डिफेक्ट का पता चलता है। अगर ये टेस्ट सही समय पर ना हो तो बच्चों में डिसऑर्डर का पता नहीं चल पाता है। लेकिन शायद इस बात ही गंभीरता से चंडीगढ़ के हेल्थ डिपार्टमेंट अनजान था या यूं कहें इस ओर उसने ध्यान ही नहीं देना चाहा। चंडीगढ़ के हेल्थ डिपार्टमेंट की लापरवाही का नतीजा है कि एक मासूम को अपनी ज़िंदगी डिसऑर्डर के साथ गुजारनी पड़ेगी। सही वक्त पर उसकी मां पूजा का प्री-नैटल टेस्ट हो जाता तो तभी जेनेटिक डिफेक्ट का पता चलता और बच्ची को दुनिया में आने से रोका जा सकता था। टेस्ट नहीं हो सका क्योंकि 9 महीने तक टेस्ट के लिए किट ही नहीं मंगवाई गई। आज एक महीने की जैष्णवी न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का शिकार है। उसकी रीढ़ की हड्‌डी में विकार है, चेहरे के फीचर्स नॉर्मल बच्चों जैसे नहीं हैं। उम्र बढ़ने के साथ ब्रेन में पानी भरने का खतरा है।

जेनेटिक सेंटर से दो बार भेजा वापिस :
पूजा का कहना है- डॉक्टर ने मुझे जेनेटिक टेस्ट कराने को कहा था। जेनेटिक सेंटर के डॉक्टरों ने दो बार लौटा दिया, कहा-किट नहीं है। मुझे नहीं पता था कि टेस्ट की इतनी अहमियत है। जैष्णवी जैसी भी है मेरी बच्ची है। उसकी तकलीफ देख नहीं सकती। उसे नहलाने पर ही बुखार हो जाता है। वजन भी कम है। बार-बार डॉक्टर्स के पास जाना पड़ता है। पति धीरेंद्र छोटी सी नौकरी करते हैं, इतना पैसा भी नहीं कि इलाज करवाएं।

बाहर यह टेस्ट 8000-10,000 रुपए में होता है :
– किट होने से 9 महीने तक प्री-नैटल टेस्ट नहीं हुए (जून 2016 से फरवरी 2017 तक)
– 11वें और 16 वें हफ्ते में होता है टेस्ट
– 30-40 महिलाएं आती हैं एक दिन में टेस्ट के लिए
– करीब 9400 महिलाओं के टेस्ट नहीं हो सके
– जीएमसीएच में यह टेस्ट 250-750 रुपए में होता है
– बाहर यह टेस्ट 8000-10,000 रुपए में होता है
विदेश से मंगवाई जाती है ये किट :
डॉक्टर कहते हैं, 8 महीने की होने पर ऑपरेशन करके कटे ओंठ जोड़े जा सकेंगे। जैष्णवी उन सात बच्चों में से एक है जो इस तरह के डिफेक्ट के साथ पैदा हुई है। टेस्ट किट होने की वजह से पिछले साल जून से लेकर इस साल फरवरी तक ये टेस्ट नहीं हुए। किट फिनलैंड से मंगाई जाती है, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट 9 महीनों में भी यह किट नहीं मंगवा सका। रोजाना 30-40 गर्भवती महिलाएं इस टेस्ट के लिए आती हैं। औसत के मुताबिक, 9 महीनों में करीब 9400 के टेस्ट नहीं हुए। हेल्थ डिपार्टमेंट महज 250 रुपए में जीएमसीएच के जेनेटिक सेंटर में यह टेस्ट करवाता है। टेस्ट 11वें और 16वें हफ्ते में होते हैं।

अब हेल्थ-कम-होम सेक्रेटरी अनुराग अग्रवाल कहते हैं- जिन बच्चों ने जेनेटिक टेस्ट के अभाव में जन्म लिया है, उनकी देखभाल चंडीगढ़ प्रशासन करेगा। बच्चों को जिस तरह की ट्रीटमेंट और केयर की जरूरत होगी, उन्हें तुरंत मिलेगी।


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