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एम4पीन्यूज। 

आय से अधिक संपत्ति मामले में एआईडीएमके की महासचिव शशिकला नटराजन को सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई है. शशिकला को अब जेल जाना होगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तमिलनाडु की राजनीति में उथल पुथल मच गई है, क्योंकि शशिकला अब छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. साथ ही 10 साल तक मुख्यमंत्री भी नहीं बन पाएंगी. इसके अलावा उन्हें एआईडीएमके महासचिव का पद भी छोड़ना पड़ेगा.

 

निचली अदालत में तुरंत करना होगा सरेंडर :
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद शशिकला के पास अब पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का ही विकल्प बचा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है और निचली आदालत का फैसला बरकरार रखा है. निचली आदालत ने ही शशिकला को चार साल की सजा सुनाई थी. फैसले के मुताबिक, शशिकला के साथ ही बाकी दोषियों को भी जेल की बाकी बची सजा काटनी होगी.

 

फैसले के बाद बाद अब शशिकला को निचली अदालत में सरेंडर करना होगा. साथ ही शशिकला को 10 करोड़ का जुर्माना भी भरना होगा. क्योंकि शशिकला इस मामले में पहले ही करीब चार महीने की सजा काट चुकी है. ऐसे में उन्हें तीन साल आठ महीने जेल में रहना होगा.

 

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ?
जस्टिस पीसी घोष और अमिताव रॉय की बेंच ने सीधे-सीधे कहा है कि हाईकोर्ट का जो फैसला था उसे हम खारिज कर रहे हैं और निचली अदालत के फैसले को हम बरकरार रख रहे हैं. निचली अदालत ने शशिकला के अलावा उनके भतीजे सुधाकरन औऱ इलवर असी पर चार-चार साल की सजा और दस-दस करोड़ का जुर्माना लगाया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब तमिलनाडु में मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम से लड़ाई के बीच शशिकला का सीएम बनने का सपना फिलहाल टूट गया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जे जयललिता के पांच दिसंबर को हुए निधन को ध्यान में रखते हुए उनके खिलाफ दायर सभी अपीलों पर कार्यवाही खत्म कर दी है.

 

शशिकला के खिलाफ क्या है केस? :
ये मामला करीब 21 साल पुराना साल 1996 का है, जब जयललिता के खिलाफ आय से 66 करोड़ रुपये की ज्यादा की संपत्ति का केस दर्ज हुआ था. इस केस में जयललिता के साथ शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया गया था. शशिकला के खिलाफ ये केस निचली अदालतों से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है.

 

सुप्रीम कोर्ट से पहले इस केस में क्या- क्या फैसले आए थे :
27 सितंबर 2014 को बेंगलूरु की विशेष अदालत ने जयललिता को 4 साल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा जयललिता पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इस केस में ही शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी चार साल की सजा सुनाई गई थी और 10-10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया था. फैसले के बाद चारों को जेल भी भेजा गया था. जिसके बाद विशेष अदालत के बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा था.

 

11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने कर दिया था बरी :
11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में चारों को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट से जयललिता और शशिकला को बड़ी राहत तो मिली थी, लेकिन इसके बाद कर्नाटक की सरकार जयललिता की विरोधी पार्टी डीएमके और बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दे दी.कर्नाटक सरकार इस मामले में इसलिए पड़ी, क्योंकि 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने केस को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.


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