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एम4पीन्यूज। 

एक ऐसा मसाला जो भारत में हर सब्ज़ी में  इस्तेमाल होता है और इसकी खेती भारत में नहीं होती है। इस मसाले को अफगानिस्तान, ईरान, इराक, तुर्कमेनिस्तान और बलूचिस्तान से मंगाया जाता है। लेकिन अब इसकी खेती भारत में भी की जाएगी। इस मसाले का नाम हींग है, जिसकी खेती अब भारत में की जाने की योजना बनाई जा रही है। हींग का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में होता है। दुनिया में साल भर में पैदा की जाने वाली हींग का 40 फीसदी इस्तेमाल भारत में होता है। मसालों से लेकर दवाइयों में हींग का इस्तेमाल किया जाता है। आप को जान कर हैरानी होगी कि हींग का उत्पादन भारत में नहीं होता।

होती है हर साल करोड़ों रुपए की विदेशी करंसी बर्बाद
हींग के आयात पर हर साल करोड़ों रुपए की विदेशी करंसी बर्बाद होती है। अभी तक न ही किसी सरकार ने और न ही किसी कृषि विश्वविद्यालय ने हींग के उत्पादन की शुरूआत करने की सोची। इस हालत से उबरने और भारत के किसानों को आय का नया विकल्प देने के लिए इंडियन कॉफी बोर्ड के सदस्य डॉ. विक्रम शर्मा ने अपनी ओर से पहल की है। डॉ. शर्मा को इसके लिए न तो सरकार की ओर से कोई मदद मिल रही है और न ही किसी निजी संगठन की ओर से। वह अपने दम पर इस मुहिम में जुटे हैं।

विक्रम ने इस काम को अंजाम देने के लिए हाल में ईरान से हींग के बीज मंगाए हैं। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के पास पहाड़ी इलाके में हींग की खेती की शुरूआत की जाएगी। इसके साथ ही वह राज्य के सोलन, लाहौल-स्फीति, सिरमौर, कुल्लू, मंडी और चंबा में भी हींग की खेती कराना चाहते हैं। डॉ. शर्मा बताते हैं कि वह उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और नेपाल से सटे यूपी के पहाड़ी इलाके में भी हींग उगाना चाहते हैं।

हींग की मांग बहुत ज्यादा है और उत्पादन जीरो
उनका कहना है कि इस समय शुद्ध हींग का बाजार मूल्य 35 हजार रुपए किलो है। डॉ. शर्मा के मुताबिक, अगर भारत के किसान इसकी खेती करने लगे तो उनका कायाकल्प हो सकता है, क्योंकि देश में हींग की मांग बहुत ज्यादा है और उत्पादन जीरो। देश में जहां आयुर्वेद और अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धति की दवाएं बनाने में हींग का काफी इस्तेमाल होता है। 2012 में जम्मू और कश्मीर के डॉ. गुलजार ने अपने राज्य में हींग की खेती की कोशिश की थी लेकिन वह प्रयास कामयाब नहीं हो पाया।

किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिल सकेगा
डॉ. शर्मा कहते हैं कि हींग का पौधा जीरो से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहन कर सकता है। इस लिहाज से देश के पहाड़ी राज्यों के कई इलाके हींग की खेती के लिए मुफीद हैं। इन राज्यों में किसान अब भी परंपरागत खेती कर रहे हैं और इसे जंगली और आवारा पशु भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। डॉ. शर्मा के मुताबिक, हींग को जंगली और आवारा पशु नुकसान नहीं पहुंचाते। इससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मू्ल्य मिल सकेगा।

क्या है मुश्किलें
हींग की खेती आसान नहीं है, क्योंकि इसका बीज हासिल करना बहुत मुश्किल काम है। दुनिया में इसकी खेती मुख्य रूप से अफगानिस्तान, ईरान, इराक, तुर्कमेनिस्तान और बलूचिस्तान में होती है। वहां हींग का बीज किसी विदेशी को बेचने पर मौत की सजा तक सुनाई जा सकती है। डॉ. शर्मा कहते हैं कि उन्होंने रिसर्च के लिए बड़ी मुश्किल से इसका बीज ईरान से मंगाया है। इसे ही वह अलग-अलग जगहों पर उगाएंगे।


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