Share it

एम4पीन्यूज| 

ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. शुरू में ही संविधान पीठ ने साफ कर दिया कि सुनवाई सिर्फ तीन तलाक पर हो रही है. निकाह हलाला पर जरूरत पड़ने पर ही चर्चा होगी. कोर्ट ने कहा कि बहुविवाह पर कोई सुनवाई नहीं होगी. इस दौरान चीफ जस्टिस ने तीन सवाल किए. उन्होंने पूछा कि:

-क्या तीन तलाक इस्लाम का अभिन्न अंग है?
-क्या अदालत इसमें दखल दे सकती है, और क्या तीन तलाक को पवित्र माना जाए?
-क्या इससे मूल अधिकारों का हनन हो रहा है?

इसके बाद सलमान खुर्शीद समेत केंद्र सरकार और पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने अपना पक्ष रखा. सलमान खुर्शीद ने कहा कि तलाक की प्रक्रिया एक बार की नहीं तीन महीने की है.

तीन महीने की है तलाक की प्रक्रिया
-ट्रिपल तलाक कोई मुद्दा ही नहीं है, क्योंकि तलाक से पहले पति और पत्नी के बीच सुलह की कोशिश जरूरी है.
– अगर सुलह की कोशिश नहीं हुई तो तलाक वैध नहीं माना जा सकता.
– एक बार में तीन तलाक नहीं बल्कि ये प्रक्रिया तीन महीने की होती है.

पर्सनल ला बोर्ड का पक्ष
पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने भी खुर्शीद का समर्थन किया कि ट्रिपल तलाक कोई मुद्दा नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि पर्सनल ला क्या है? क्या इसका मतलब शरियत है या कुछ और?

पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा, ‘ये पर्सनल लॉ का मामला है. सरकार तो कानून बना सकती है लेकिन कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. वहीं जस्टिस कूरियन ने कहा कि ये मामला मौलिक अधिकारों से भी जुड़ा है.

इसके बाद जस्टिस रोहिंग्टन ने केंद्र सरकार का स्टैंड पूछा. केंद्र की ओर से ASG पिंकी आनंद ने कहा कि सरकार याचिकाकर्ता के समर्थन में है. ट्रिपल तलाक असंवैधानिक है और बहुत सारे देश इसे खत्म कर चुके हैं.

धर्म का हिस्सा हुआ तो SC नहीं देगा दखल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘अगर हमको ये लगता है कि तीन तलाक धर्म का हिस्सा है तो हम इसमें दखल नहीं देंगे.

 


Share it

By news

Truth says it all

Leave a Reply